दीवाली के एक दिन बाद, गुजराती नववर्ष बेस्टू वरस को बड़े आनंद और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह दिन नए शुरुआत का प्रतीक है और गुजराती संस्कृति में विशेष महत्व रखता है।
इस दिन को पूरे देश में गोवर्धन पूजा के रूप में भी मनाया जाता है। कई जगहों पर इसे बेस्टू वरस, वर्षा-प्रतिपदा या पड़वा के नाम से भी जाना जाता है।
दिनांक: शनिवार, 2 नवंबर 2024
इतिहास के अनुसार, इस दिन का बड़ा महत्व है क्योंकि भगवान श्री कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली से पूरा पहाड़ उठाकर अनेकों लोगों की जान बचाई थी, ताकि वे तूफान से बच सकें। यह घटना भक्ति और साहस का प्रतीक है, जो इस दिन को और भी खास बनाती है।
इतिहास
– घरों की सजावट– पारंपरिक भोजन तैयार करना– रंगोली बनाना– भगवान गणेश की पूजा
गुजराती नववर्ष: उत्सव
इस दिन, लोग अपने लेजर्स पर शुभ और लाभ लिखते हैं, जिससे उनके सभी कार्य सफल और व्यक्तिगत रूप से फायदेमंद होता हैं। यह परंपरा समृद्धि और सकारात्मकता का प्रतीक है।
महत्व
गुजराती नववर्ष आपके जीवन में सुख- समृद्धि लेकर आए। नए साल की ढेर सारी शुभकामनाएं!