Nidhi Mishra
यह मंदिर महाकालेश्वर मंदिर से 6 किलोमिटर दूर में स्थित है। यहां पर भगवान गणेश चिंतामन, इच्छामन और सिद्धिविनायक तीन रूपों में विराजमान है।
कहा जाता है की सांदीपनि आश्रम में ही भगवान श्री कृष्ण और सुदामा ने ऋषि सांदीपनि से शिक्षा प्राप्त की थी। यहीं से श्री कृष्ण ने 64 विधाओं और 16 कलाओं का ज्ञान प्राप्त किया था।
उज्जैन के भैरवगढ़ में कालभैरव का मंदिर स्थित है। कालभैरव का यह मंदिर 6 हजार साल पुराना है।
कहा जाता है की मंगलनाथ मंदिर मंगल ग्रह का जन्म स्थान है। यहां पर मंगल ग्रह की शांति के लिए भात पूजा की जाती है।
उज्जैन में राजा भर्तृहरि गुफा घूमने के लिए पर्यटको के बीच प्रसिद्ध है। यहां पर दो गुफाएं है। कहा जाता है की एक गुफा का रास्ता चार धामों तक जाता है।
उज्जैन की वैधशाला का निर्माण राजा जय सिंह ने करवाया था। यह वैधशाला 300 से अधिक पुरानी है।
उज्जैन में शिप्रा नदी पर रामघाट बना हुआ है। यहां पर भगवान श्री राम ने अपने पिता दशरथ के मोक्ष के लिए पूजा की थी।
महाकालेश्वर मंदिर से हरसिद्धि मंदिर जाने वाले रास्ते में विक्रमादित्य सिंहासन बत्तीसी मंदिर स्थित है। यहां पर राजा विक्रमादित्य की 30 फीट ऊंची मूर्ति बनी हुई है।
महाकालेश्वर मंदिर से हरसिद्धि मंदिर जाने वाले रास्ते में विक्रमादित्य सिंहासन बत्तीसी मंदिर स्थित है। यहां पर राजा विक्रमादित्य की 30 फीट ऊंची मूर्ति बनी हुई है।
कहा जाता है की हरसिद्धि मंदिर वहां स्थित है जहां माता सती की कोहनी आकर गिरी थी। यह मंदिर माता सती के 51 शक्तिपीठों में से एक है।
उज्जैन में आप जंतर मंतर भी घूम सकते है। यहां पर आप यात्रा के दौरान पिकनिक का आनंद ले सकते है।