दक्षिण भारत के सदियों पुराने मंदिर

– Nidhi Mishra

यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और अपनी बारीक नक्काशी और शानदार वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। यहां की सुंदरता और धार्मिक महत्त्व यात्रियों को मंत्रमुग्ध कर देती है।

पुंडरीकाक्ष मंदिर:

यह मंदिर प्राचीन लेखन और अद्वितीय द्रविड़ वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है और भगवान शिव को समर्पित है। इसकी कला और सांस्कृतिक महत्व इसे यात्रियों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं।

ब्रह्मपुरेश्वर मंदिर:

यह मंदिर नृत्य और कला के लिए प्रसिद्ध है। ये मंदिर देवी पार्वती के भयंकर रूप को समर्पित है। यहां की सांस्कृतिक धरोहर और कलात्मक गतिविधियां यात्रियों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं।

थिल्लई काली अम्मन मंदिर:

यह मंदिर गोपुरम और रंगीन वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है और यह भगवान शिव को समर्पित है। इसकी आकर्षक सजावट और भव्यता यात्रियों को मंत्रमुग्ध कर देती है।

कपालेश्वर मंदिर:

यहाँ एक अद्वितीय जल निकासी प्रणाली है, जो एक पौराणिक जीव के रूप में डिज़ाइन की गई है, जो प्राचीन इंजीनियरिंग की कला को दर्शाती है। यह विशेषता दर्शकों को प्राचीन काल के तकनीकी कौशल से अवगत कराती है।

मकर प्राणालय:

यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल भी है। इसे बारीक नक्काशियों से सजाया गया है और इसका समृद्ध इतिहास इसे और भी खास बनाता है।

विरुपाक्ष मंदिर:

यह मंदिर अपने शांतिपूर्ण वातावरण और प्राचीन वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। ये मंदिर विभिन्न देवताओं को समर्पित है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता और आध्यात्मिकता यात्रियों को मंत्रमुग्ध कर देती है।

रंगस्थल मंदिर, चिक्काबल्लापुरा:

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