केरल की मुंहबोली चित्रकला की गहराई और रंगों का जादू

Nidhi Mishra

द ओरिजिन

केरल की मुहण चित्रकला का इतिहास 8वीं सदी से जुड़ा हुआ है, जो मंदिरों और महलों में समृद्ध हुई हैं। ये चित्रकला भगवानों की कथाओं को दर्शाने के लिए माटी के रंगों और प्राकृतिक रंजकों का उपयोग करती है, जो हिंदू पौराणिक कथाओं से प्रेरित होती हैं।

दिव्य कथाएं

रामायण, महाभारत और पुराणों की कथाओं को समाहित करते हुए, हर मुहण चित्र एक अद्वितीय दृश्यात्मक कृति है। आकाशीय प्राणी, देवी-देवता और अन्य दिव्य पात्र अपनी सूक्ष्म और बारीक विवरणों के माध्यम से जीवन्त हो उठते हैं, जो इन चित्रों में समाई हुई कहानियों को और भी आकर्षक और प्रभावशाली बना देती हैं।

हस्ताक्षर शैली

केरल की मुहण चित्रकला अपने जीवंत लाल, पीले और हरे रंगों, साथ ही मजबूत आकारों और अभिव्यक्तिपूर्ण आंखों के लिए विशिष्ट है। हर एक ब्रश स्ट्रोक में भक्ति और कलात्मक निपुणता की झलक मिलती है, जो इन चित्रों को एक अद्भुत गहराई और आकर्षण प्रदान करती है।

छुपे हुए प्रतीक

🔴 लालजुनून और शक्ति 🟡 पीलादिव्य ऊर्जा 🟢 हरा– समृद्धि और विकास सफेदपवित्रता और ज्ञानोदय

इन अद्वितीय कृतियों को कहाँ देखा जा सकता है?

📍 पद्मनाभपुरम पैलेस 📍 मट्टनचेरी पैलेस, कोच्चि 📍 वडक्कुनाथन मंदिर, त्रिशूर 📍 गुरुवायुर मंदिर

केरल के 11 खूबसूरत बीच