निधि मिश्रा
फसल और फूलों के उत्सव! देशभर में रंग-बिरंगे सांस्कृतिक समारोहों का आनंद लें।
पंजाब में 14 अप्रैल को बैसाखी का त्योहार मनाया जाता है, जो रबी फसलों की कटाई का प्रतीक है। इस दिन अमृतसर में संगीत और पारंपरिक नृत्यों के साथ धूमधाम से उत्सव मनाया जाता है।
असम में फसल की सीजन का जश्न बीहू (14 से 20 अप्रैल) के रूप में मनाया जाता है, जिसमें नृत्य, संगीत और स्थानीय सांस्कृतिक कार्यक्रमों का अद्वितीय संगम देखने को मिलता है।
मेघालय का थैंक्सगिविंग डांस फेस्टिवल, शद सुक मिंसीम (13 अप्रैल), रंग-बिरंगे खासी परिधानों और अद्भुत प्रदर्शन के साथ मनाया जाता है।
नागालैंड के कोन्याक जनजाति का रंग-बिरंगा आोलिंग उत्सव (1 से 6 अप्रैल) देखें, जो वसंत के आगमन का प्रतीक है और इसमें नृत्य के साथ जश्न मनाया जाता है।
तमिलनाडु का भव्य चित्राई उत्सव (29 अप्रैल से 10 मई) भगवान शिव और मीनाक्षी की दिव्य विवाह का उत्सव है, जो बड़े धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।
ऊटी और कूनूर के मरीअम्मन मंदिरों में मां दुर्गा की पूजा करें, जहां रंग-बिरंगे जुलूसों के साथ यह त्योहार मनाया जाता है।
केरल की समृद्ध संस्कृति का अनुभव करें, हर साल 14 से 23 अप्रैल तक चलने वाला कडम्मनिट्टा पदयानी उत्सव रंग-बिरंगे प्रदर्शन और परंपराओं के साथ मनाया जाता है।
अरुणाचल प्रदेश में 5 अप्रैल को मॉपिन उत्सव के दौरान फसल की कटाई का उत्सव मनाया जाता है, साथ ही बुरी आत्माओं को दूर करने के लिए रंग-बिरंगे और पारंपरिक समारोह आयोजित किए जाते हैं।
20 अप्रैल को भारतभर में ईस्टर का पर्व मनाया जाएंगा, जो यीशु के पुनरुत्थान की याद में देशभर के चर्चों में श्रद्धा और धूमधाम से मनाया जाता है।
वाराणसी के संकट मोचन संगीत महोत्सव (16 से 21 अप्रैल) में हनुमान जयंती के अवसर पर शास्त्रीय संगीत का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है।
15 अप्रैल को पश्चिम बंगाल में नव वर्ष, नबा वर्षा, का स्वागत धूमधाम से करते है, जहां त्योहार की सजावट और पारंपरिक वस्त्रों में लोग इस त्योहार को बड़े उल्लास से मनाते है।
केरल की रंग-बिरंगी संस्कृति का अनुभव करें, 15 अप्रैल को कोल्लम पूराम उत्सव में सजे हुए हाथियों और पारंपरिक नृत्य-प्रस्तुतियों के साथ धूमधाम से उत्सव मनाया जाता है।