निधि मिश्रा
कुम्भ मेला, जो हर साल लाखों श्रद्धालुओं को विश्वभर से आकर्षित करता है, विश्वास और एकता का अद्भुत प्रतीक है। यह आयोजन एक पवित्र माहौल उत्पन्न करता है, जहां आध्यात्मिकता और शांति का अहसास होता है। कुम्भ मेला न केवल एक धार्मिक उत्सव है, बल्कि यह मानवता, भाईचारे और आत्मिक उन्नति का संदेश भी देता है, जो सभी को एक साथ जोड़ता है।
कुम्भ मेला का संबंध समुद्र मंथन से जुड़ा है, जब अमृत के बूंदों ने प्रयागराज, उज्जैन, हरिद्वार और नाशिक को पवित्र किया। इन स्थानों पर हर बार कुम्भ मेला आयोजित होता है, जहां श्रद्धालु अपनी आत्मा को शुद्ध करने के लिए स्नान करते हैं।
इस साल का महा कुम्भ विशेष है क्योंकि यह 144 साल बाद लग रहा है, जो 12 जोवियन चक्रों की दुर्लभ पूर्णता को दर्शाता है। यह अत्यंत अद्वितीय अवसर श्रद्धालुओं को एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करेगा।
संगम पर होने वाला शाही स्नान जैसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान पापों से मुक्ति दिलाने और आत्माओं को मोक्ष की ओर मार्गदर्शन करने के लिए अत्यधिक शुभ माने जाते हैं। यह स्नान विशेष अवसरों पर किया जाता है, मान्यता है कि यह आध्यात्मिक शुद्धि और जीवन के परम उद्देश्य की प्राप्ति में सहायक होता है।
कुम्भ मेला 2025 एक ऐसा मंच प्रदान करेगा, जहां अंतर-सांस्कृतिक संवाद और वैश्विक एकता को बढ़ावा मिलेगा। यह आयोजन सांस्कृतिक प्रदर्शन, प्रदर्शनियां, कार्यशालाएं और आध्यात्मिक परंपराओं को सम्मानित करने के माध्यम से विभिन्न संस्कृतियों का संगम होगा। यह मेला न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह दुनिया भर के लोगों को एकजुट करने का भी एक बेहतरीन अवसर है।