वाराणसी की देव दीपावली: आस्था, परंपरा और दिव्यता का अनोखा संगम

वाराणसी की देव दीपावली: आस्था, परंपरा और दिव्यता का अनोखा संगम
Updated Date: 1 September 2025

Dev Deepawali वाराणसी का सबसे भव्य और खास त्योहार माना जाता है, जिसे कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा घाटों पर मनाया जाता है। इस दिन पूरे घाट लाखों दीयों से रोशन होते हैं। इसका धार्मिक महत्व इसलिए है, क्योंकि मान्यता है कि इस दिन देवता स्वयं गंगा पर उतरकर दीपदान करते हैं। सांस्कृतिक रूप से भी यह पर्व बेहद खास है, क्योंकि घाटों पर गंगा आरती, भजन-कीर्तन और रंगारंग कार्यक्रम होते हैं। यही वजह है कि देव दीपावली वाराणसी के सबसे बड़े और भव्य त्योहारों में से एक है।


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ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व

ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व

देव दीपावली का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत खास है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, इसी दिन देवताओं ने असुर त्रिपुरासुर का वध होने की खुशी में धरती पर आकर गंगा किनारे दीप जलाए थे। तभी से इसे देवताओं का दीपावली पर्व माना जाता है। वाराणसी जैसे प्राचीन शहर में यह त्योहार सिर्फ धार्मिक आस्था का ही नहीं, बल्कि संस्कृति और परंपरा का भी प्रतीक है। इस दिन गंगा घाटों पर लाखों दीप जलाकर ऐसा दृश्य बनाया जाता है, जो भक्ति और सौंदर्य का संगम होता है। साथ ही, लोकगीत, शास्त्रीय नृत्य और सांस्कृतिक कार्यक्रम इस पर्व को और भी खास बना देते हैं।

देव दीपावली कब मनाई जाती है?

देव दीपावली कब मनाई जाती है

देव दीपावली हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है, जो कि दीपावली के 15 दिन बाद आती है। इस दिन वाराणसी के सारे घाट लाखों दीयों से जगमगा उठते हैं, जिसकी वजह से गंगा किनारों पर भव्य दृश्य दिखाई देता है। साल 2025 में यह पर्व 5 नवंबर (बुधवार) को मनाया जाएगा। पूर्णिमा तिथि 4 नवंबर रात 10:36 बजे से शुरू होकर 5 नवंबर सुबह 06:48 बजे तक रहेगी।

दीपावली और देव दीपावली में मुख्य अंतर यह है कि दीपावली घर-घर में माता लक्ष्मी के स्वागत का पर्व है, जबकि देव दीपावली खास तौर पर गंगा घाटों पर मनाई जाती है, जिसे खास तौर पर देवताओं के स्वागत और श्रद्धा के रूप में मनाया जाता है।

पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस दिन देवता धरती पर आकर गंगा जी में स्नान करते हैं और इसी कारण इसे देव दीपावली कहा जाता है। यही वजह है कि इसे आध्यात्मिक रूप से भी बहुत पवित्र और खास माना जाता है।

वाराणसी में देव दीपावली का अनुभव कहाँ करें?

वाराणसी में देव दीपावली का अनुभव कहाँ करें

वाराणसी में देव दीपावली का सबसे सुंदर नज़ारा दशाश्वमेध घाट, असी घाट और पंचगंगा घाट पर देखा जा सकता है, जहाँ लाखों दीपक जलाकर भव्य आयोजन होता है।

देव दीपावली के प्रसिद्ध घाट

  • दशाश्वमेध घाट: देव दीपावली का मुख्य आकर्षण है, जहां भव्य गंगा आरती होती है और लाखों दीपों से पूरा घाट जगमगा उठता है।
  • अस्सी घाट: देव दीपावली के खास मौके पर यहां सांस्कृतिक कार्यक्रम, संगीत और नृत्य का आयोजन होता है, जो इस पर्व को और भी खास बना देता है।
  • पंचगंगा और राज घाट: देव दीपावली के समय ये घाट शांत और आध्यात्मिक माहौल में डूब जाते हैं। यहाँ श्रद्धालु दीयों की रोशनी में गंगा किनारे बैठकर भक्ति और सुकून का अनुभव करते हैं।
  • चेत सिंह और मणिकर्णिका घाट: यह घाट ऐतिहासिक और अनोखे दृश्यों के कारण प्रसिद्ध हैं, जो इस अवसर पर विशेष अनुभव कराते हैं।

बोट राइड एक्सपीरियंस

देव दीपावली के समय गंगा नदी से घाटों पर जगमगाते दीयों का नज़ारा सबसे अद्भुत अनुभव माना जाता है। नाव की सवारी से आप हजारों दीयों की झिलमिल रोशनी और घाटों की खूबसूरती को एक साथ देख सकते हैं। इस दिन नाव की सवारी का किराया सामान्य दिनों से ज़्यादा होता है। बात करें नाव के किराए की तो, छोटी नाव का किराया लगभग ₹200 से ₹500 प्रति व्यक्ति और मोटरबोट या बड़ी नाव का किराया ₹1500 से ₹3000 तक हो सकता है। समय प्रायः शाम से रात तक रहता है। बेहतर अनुभव के लिए टिकट पहले से बुक करना अच्छा रहता है, क्योंकि भीड़ बहुत ज़्यादा होती है और आख़िरी समय में नाव मिलना मुश्किल हो जाता है।

देव दीपावली पर क्या होता है?

देव दीपावली पर वाराणसी का नज़ारा अद्भुत हो जाता है। इस दिन गंगा के घाटों और मंदिरों पर लाखों दीये जलाए जाते हैं, जिससे पूरा शहर रोशनी से जगमगा उठता है। शाम को भव्य गंगा आरती होती है, जिसमें मंत्रोच्चार और पारंपरिक विधियाँ वातावरण को आध्यात्मिक बना देती हैं। साथ ही, शास्त्रीय संगीत और नृत्य के सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं, जो कला और परंपरा की झलक दिखाते हैं। कई जगह देवताओं की झांकियाँ और शोभायात्राएँ भी निकलती हैं। रात में गंगा नदी पर होने वाली आतिशबाज़ी इस उत्सव को और भी दिव्य और यादगार बना देती है।

देव दीपावली पर्यटकों के लिए यात्रा गाइड

देव दीपावली पर्यटकों के लिए यात्रा गाइड

वाराणसी में ठहरने के लिए जगहें

वाराणसी में ठहरने के लिए अलग-अलग बजट के हिसाब से विकल्प मिल जाते हैं। घाटों के पास छोटे गेस्ट हाउस और बजट होटल ₹800 से ₹2000 प्रति रात तक मिल जाते हैं। वहीं मिड-रेंज होटल ₹2500 से ₹5000 तक और लग्ज़री होटल ₹6000 से ₹12,000 या उससे ज़्यादा तक हो सकते हैं। देव दीपावली के समय भीड़ ज़्यादा होती है, इसलिए चाहे बजट होटल चुनें या लग्ज़री, पहले से बुकिंग करना ज़रूरी है।

खानपान और त्यौहार का स्वाद

देव दीपावली के दौरान वाराणसी का खानपान भी उतना ही खास होता है, जितना इसका उत्सव भी होता हैं। इस समय घाटों के पास लगी मिठाई और स्ट्रीट फूड की दुकानों पर मलाईयो, गरमा-गरम जलेबी और कचौरी-सब्ज़ी ज़रूर चखनी चाहिए। शाम के वक्त घाटों के आसपास कई स्ट्रीट फूड स्टॉल सज जाते हैं, जहाँ बनारसी चाट और स्थानीय स्नैक्स का मज़ा लिया जा सकता है। वहीं श्रद्धालुओं के लिए कई जगहों पर सात्विक भोजन की व्यवस्था होती है, जिससे लोग त्योहार के दौरान स्वाद और परंपरा दोनों का अनुभव कर पाते हैं।

सेफ्टी और गाइडलाइन

  • भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचें और सुरक्षित व आरामदायक घाटों को चुनें।
  • नाव की सवारी करते समय केवल अधिकृत ऑपरेटरों(authorized operators) से ही बोट लें।
  • अपने पर्स, मोबाइल और कीमती सामान का ध्यान रखें, जेबकतरों से सावधान रहें।
  • आरामदायक कपड़े और जूते पहनें ताकि लंबे समय तक आराम से घूम सकें।
  • बुजुर्गों और बच्चों के लिए अस्सी घाट या तुलसी घाट जैसे सुरक्षित और शांत स्थान बेहतर हैं।

कॉन्क्लूज़न

क्या आप ऐसी नगरी देखना चाहते हैं जो लाखों दीयों से जगमगाती हो? आइए देव दीपावली पर वाराणसी, जो अपनी आध्यात्मिकता और पवित्र गंगा के कारण मोक्ष की नगरी कहलाती है। इस साल देव दीपावली के अवसर पर वाराणसी की यात्रा आपको भारत के सबसे मनमोहक त्योहार का अनुभव कराएगी। रंग-बिरंगे और रोशनी से सजे घाटों पर गंगा आरती का भव्य नज़ारा, दिव्य वातावरण और मां गंगा की महिमा हर किसी को मंत्रमुग्ध कर देती है। तो देर किस बात की? वाराणसी की यात्रा कीजिए और इस अद्भुत पर्व का हिस्सा बनकर यादगार अनुभव पाएं।
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Image Sources: Wikimedia Commons, Facebook, and Pexels

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

देव दीपावली क्यों मनाई जाती है?

भगवान शिव द्वारा त्रिपुरासुर राक्षस का वध कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ था। इस जीत की खुशी में देवताओं ने गंगा किनारे दीप जलाए थे। तभी से इसे हर साल देव दीपावली के रूप में मनाया जाता है।

देव दीपावली कब और कहाँ मनाई जाती है?

देव दीपावली हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है, जो दीपावली के लगभग पंद्रह दिन बाद आती है। यह भव्य उत्सव उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में गंगा नदी के सभी प्रमुख घाटों पर आयोजित होता है। इस दिन पूरे शहर के घाट लाखों दीपों की रोशनी से जगमगा उठते हैं और गंगा आरती के साथ एक अद्भुत आध्यात्मिक दृश्य प्रस्तुत करते हैं।

इस साल देव दीपावली किस तारीख को है?

इस वर्ष (2025 में) देव दीपावली 5 नवंबर, बुधवार को मनाई जाएगी। यह तारीख हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा को पड़ती है।

देव दीपावली और दीवाली में क्या अंतर है?

दीवाली को हम सब रोशनी का त्योहार कहते हैं, जबकि देव दीपावली को देवताओं की दीवाली कहा जाता है। दीवाली के लगभग पंद्रह दिन बाद देव दीपावली मनाई जाती है। इसे दीवाली और तुलसी विवाह जैसे उत्सवों के समापन के रूप में भी माना जाता है।

देव दीपावली की पूजा विधि क्या हैं?

इस दिन गंगा घाटों पर विशेष गंगा आरती और दीपदान का आयोजन किया जाता है। लोग घर और घाटों को रंग-बिरंगे दीपों से सजाते हैं और देवी-देवताओं की आराधना करते हैं। इसके अलावा, श्रद्धालु पवित्र गंगा में स्नान करके पापों से मुक्ति पाने की कामना करते हैं।

Category: Festival, hindi, Places To Visit, Varanasi

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