छठ पूजा 2025: आस्था, परंपरा और प्रकृति से जुड़ने का पर्व

छठ पूजा एक पवित्र और पारंपरिक त्योहार है, जो सूर्य देवता और छठी मैया को समर्पित है। इस समय घाटों पर गूंजते भजन, जल में चमकते दीपक और आस्था से भरे चेहरे एक अद्भुत दृश्य रचते हैं। खासकर बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में यह पर्व पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस साल यह पर्व 26 अक्टूबर (रविवार) को मनाया जाएगा। चार दिनों तक चलने वाले इस अनुष्ठान में व्रती सामूहिक रूप से डूबते और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित करती हैं, जो न सिर्फ धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि भारतीय संस्कृति, आस्था और प्रकृति से गहरे जुड़ाव को भी दर्शाता हैं।
छठ पूजा का इतिहास और महत्व

छठ पूजा का इतिहास कई पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है और इसका संबंध रामायण और महाभारत काल से माना जाता है। कहा जाता है कि वनवास से लौटने के बाद देवी सीता ने कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन बिहार के मुंगेर जिले में सूर्य देव की पूजा की थी। वहीं, महाभारत काल में जब पांडव अपना सब कुछ जुए में हार गए थे, तब द्रौपदी ने धौम्य ऋषि की सलाह पर छठ पूजा का व्रत किया था, ताकि उन्हें अपना खोया हुआ राज्य वापस मिल सके। इस पूजा का मुख्य उद्देश्य सूर्य देव और छठी मैया (सूर्य की बहन) की आराधना है, जिससे समृद्धि, स्वास्थ्य और संतान की प्राप्ति होती है। यह त्योहार शुद्धता, आस्था, अनुशासन और प्रकृति से जुड़ाव का प्रतीक है।
छठ पूजा 2025 की तिथियां
- नहाय खाय: 26 अक्टूबर 2025 (रविवार)
- खरना: 27 अक्टूबर 2025 (सोमवार)
- संध्या अर्घ्य: 28 अक्टूबर 2025 (मंगलवार)
- उषा अर्घ्य: 29 अक्टूबर 2025 (बुधवार)
भारत में छठ पूजा के प्रमुख स्थल

1. पटना, बिहार
गंगा नदी के किनारे पटना में छठ पूजा अद्भुत श्रद्धा और भव्यता के साथ मनाई जाती है। यहां कंकड़बाग, कुर्जी, दीघा और गांधी घाट जैसे प्रमुख स्थलों पर हजारों श्रद्धालु एक साथ पहुंचकर डूबते और उगते सूरज को अर्घ्य अर्पित करते हैं।
2. वाराणसी, उत्तर प्रदेश
वाराणसी में छठ पूजा के समय गंगा घाटों पर रौशनी, भजन और आस्था का सुंदर संगम देखने को मिलता है। यहां के दशाश्वमेध घाट और अस्सी घाट पर श्रद्धालु डूबते और उगते हुए सूरज को अर्घ्य देते हैं।
3. रांची और जमशेदपुर, झारखंड
झारखंड में भी छठ पूजा पूरे उत्साह से मनाई जाती है। रांची का बुढ़ा तालाब और जमशेदपुर का स्वर्णरेखा नदी घाट प्रमुख स्थल हैं, जहां बड़ी संख्या में लोग परंपराओं का पालन करते हुए अर्घ्य देते हैं।
4. दिल्ली और मुंबई
महानगरों में रहने वाले लोग भी छठ पूजा पूरे उत्साह से मनाते हैं। दिल्ली के कालिंदी कुंज और मुंबई के जुहू बीच व पवई लेक पर आर्टिफिशियल घाट बनाकर हजारों श्रद्धालु एक साथ पूजा में शामिल होते हैं।छठ पूजा के प्रमुख
रीति-रिवाज(Rituals)

छठ पूजा में हर रीति- रिवाज का अपना महत्व होता है और इसे पूरे अनुशासन, शुद्धता और आस्था के साथ किया जाता है। यह व्रत चार दिन तक चलता है और हर दिन की अपनी अलग परंपरा होती है, जिसके बारे में हम आपको आगे बताने वाले हैं। बात करें छठ पूजा के शुभ मुहूर्त की तो इसका कोई शुभ मुहूर्त नही होता हैं, क्योंकि इसमें डूबते हुए सूर्य और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता हैं। इसलिए इसमें डबते हुए सूर्य का समय और उगते हुए समय का काफी ध्यान रखा जाता हैं।
नहाय खाय (पहला दिन): व्रती (व्रत करने वाला) सुबह स्नान करके घर और रसोई को शुद्ध करती है। इस दिन सात्विक भोजन जैसे कद्दू-भात और चने की दाल खाया जाता है, जिससे व्रत की शुरुआत होती है। माना जाता है कि इस भोजन से शरीर और मन शुद्ध होते हैं।
खरना (दूसरा दिन): पूरे दिन निर्जला उपवास रखने के बाद शाम को व्रती मिट्टी के चूल्हे पर गुड़ की खीर, रोटी और केले का प्रसाद बनाते हैं। प्रसाद को सबसे पहले छठी मैया को अर्पित किया जाता है और फिर परिवार और पड़ोस के लोगों में बांटा जाता है।
संध्या अर्घ्य (तीसरा दिन): व्रती रंग-बिरंगे बांस के सूप (डालियां) में फल, ठेकुआ और गन्ना सजाकर घाट पर जाते हैं और डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इस समय घाटों पर दीपों की रोशनी, भजनों की गूंज और लोकगीतों की मधुर धुन से मनमोहक वातावरण बन जाता है।
उषा अर्घ्य (चौथा दिन): व्रत का सबसे पवित्र पल तब आता है, जब सुबह उगते सूरज को अर्घ्य दिया जाता है। माना जाता है कि इस समय सूर्य देव और छठी मैया व्रती की मनोकामनाएं पूरी करती हैं। अर्घ्य के बाद व्रत का समापन होता है और व्रती प्रासद खाकर उपवास तोड़ती हैं।
छठ पूजा के पारंपरिक व्यंजन

छठ पूजा में भोजन सिर्फ स्वाद के लिए नहीं, बल्कि पवित्रता और परंपरा के लिए भी खास होता है। इसे बिना प्याज-लहसुन, बिना मसाले और पूरी तरह सात्विक तरीके से बनाया जाता है।
गुड़ की खीर: दूध, चावल और गुड़ से बनने वाली यह मीठी डिश छठ पूजा का सबसे प्रिय प्रसाद है। गुड़ की मिठास और दूध का स्वाद इसे खास बनाता है। विशेष रूप से ये खीर खरना वाले दिन छठी मैया को चढ़ाया जाता हैं।
कच्ची गेहूं की रोटी: ताजे आटे से बनी रोटी जिसे घी लगाकर खरना के दिन गुड़ की खीर के साथ चढ़ाया जाता है।
ठेकुआ: आटा, गुड़ और घी से बनने वा ली कुरकुरी मिठाई, जिसे घी में फ्राई करके तैयार किया जाता है। यह न सिर्फ प्रसाद है बल्कि छठ पूजा की पहचान भी है।
मौसमी फल और सब्जियां: सूप (डालियां) में मौसमी फल और सब्जियां जैसे- गन्ना, नारियल, नींबू, बैंगन, मूली, शलजम, शरीफा, सिंघाड़ा आदि को सजाते हैं, जिससे सूर्य देवता को अर्घ्य दिया जाता हैं।
सुरक्षा और गाइडलाइंस
- हमेशा ऐसे घाट पर जाएँ, जहाँ प्रशासन की ओर से सुरक्षा, बैरिकेडिंग और लाइट की अच्छी व्यवस्था हो।
- बच्चों और बुज़ुर्गों का हाथ पकड़कर रखें ताकि वे भीड़ में खो न जाएँ।
- पूजा का प्रसाद और सामग्री हमेशा साफ जगह पर रखें और नदी में प्लास्टिक या गंदगी न फैलाएं।
- छठ का व्रत काफी कठिन होता है, इसलिए व्रत शुरू करने से पहले डॉक्टर से सलाह लें। अगर कमजोरी लगे तो थोड़ा आराम करें।
- पुलिस या प्रशासन जो भी निर्देश दे, उनका पालन करें।
कॉन्क्लूज़न
छठ पूजा सिर्फ एक हिन्दू त्योहार नहीं, बल्कि बिहार की संस्कृति और पौराणिक महत्व से जुड़ा पर्व है। अब जब आप इसके इतिहास, महत्व और इसे मनाने के तरीके को जान चुके हैं, तो बिहार की यात्रा करें और नदी के घाटों पर लाइव छठ पूजा का अद्भुत अनुभव लें।
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
2025 में छठ पूजा कब मनाई जाएंगी?
छठ पूजा 2025 की शुरुआत 26 अक्टूबर (रविवार) से होगी और 29 अक्टूबर (बुधवार) को समाप्त होगी।
छठ पूजा कितने दिन की होती है?
यह पर्व 4 दिन तक चलता है, नहाय खाय, खरना, संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य।
छठ पूजा में किन देवताओं की पूजा होती है?
इसमें सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है।
छठ पूजा का महत्व क्या है?
यह त्योहार समृद्धि, स्वास्थ्य और संतान प्राप्ति के लिए मनाया जाता है और यह शुद्धता, आस्था व प्रकृति से जुड़ने का प्रतीक है।
व्रत कौन कर सकता है? क्या पुरुष भी छठ पूजा करते हैं?
छठ पूजा का व्रत सिर्फ महिलाएँ ही नहीं बल्कि पुरुष भी कर सकते हैं। यह व्रत आस्था और नियमों के साथ कोई भी व्यक्ति पूरी श्रद्धा से निभा सकता है।
क्या छठ पूजा में non-vegetarian भोजन वर्जित है?
छठ पूजा के समय मांस, मछली, अंडा और शराब जैसे non-vegetarian भोजन पूरी तरह वर्जित होते हैं। इस व्रत में केवल शुद्ध शाकाहारी और सात्विक भोजन ही खाया जाता है।
अगर पास में नदी या तालाब न हो तो क्या करें?
अगर पास में नदी या तालाब न हो तो लोग घर की छत, आंगन या किसी खुले स्थान पर पानी से भरा कलश या टब में पानी भरकर सूर्य देवता को अर्घ्य देते हैं।
छठ पूजा में मुख्य प्रसाद क्या होता है?
ठेकुआ, गुड़ की खीर, कच्ची गेहूं की रोटी, गन्ना और मौसमी फल।
छठ पूजा कहां सबसे प्रसिद्ध है?
बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में, खासकर पटना, वाराणसी, रांची, जमशेदपुर के घाटों पर यह भव्य रूप से मनाई जाती है।

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